अखिलेश के भरोसेमंद सपा नेता वासुदेव यादव गिरफ्तार!

समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व निदेशक वासुदेव यादव को आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। विजिलेंस सेल ने उन्हें मंगलवार को प्रयागराज स्थित उनके जॉर्ज टाउन आवास से गिरफ्तार किया। उन्हें वाराणसी एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तारी और अदालत में पेशी
विजिलेंस डिपार्टमेंट की प्रयागराज यूनिट ने इंस्पेक्टर नन्हे राम सरोज के नेतृत्व में यह कार्रवाई की। वासुदेव यादव को प्रयागराज से वाराणसी लाया गया, जहां उनकी एमपी/एमएलए कोर्ट में पेशी हुई। अदालत में पेशी के दौरान, वासुदेव यादव ने अपनी बीमारियों का हवाला देते हुए जमानत और अस्पताल में भर्ती होने की अपील की, लेकिन अदालत ने उनकी दोनों दलीलें खारिज कर दी। अदालत ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया और जेल मैनुअल के अनुसार चिकित्सा सहायता प्रदान करने का निर्देश भी दिया।

आय से अधिक संपत्ति का मामला
विजिलेंस डिपार्टमेंट ने वासुदेव यादव के खिलाफ अप्रैल 2021 में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था। जांच में यह पाया गया कि उन्होंने अपनी आय से 109 फीसदी अधिक संपत्ति जमा की थी। वासुदेव यादव ने अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर संपत्तियां खरीदी थीं और कई शिक्षण संस्थान भी खोले थे। इस मामले में विजिलेंस डिपार्टमेंट ने चार्जशीट भी दायर की थी।

भ्रष्टाचार के आरोप और विजिलेंस जांच
2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद वासुदेव यादव पर भ्रष्टाचार के कई आरोप सामने आए थे। इसके बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने 12 सितंबर 2017 को उनकी संपत्ति की विजिलेंस जांच का आदेश दिया। जांच के दौरान उनकी आय, व्यय और संपत्तियों की जांच की गई, जिसमें पता चला कि उनकी संपत्ति उनकी आय से कहीं ज्यादा है।

विजिलेंस ने सरकार से अनुमति प्राप्त कर दर्ज किया केस
विजिलेंस ने 1 सितंबर 1978 से 31 मार्च 2014 तक वासुदेव यादव की आय और संपत्तियों की जांच की और पाया कि उनके पास आय से 109 फीसदी अधिक संपत्ति है। इसके बाद, यूपी सरकार से अनुमति प्राप्त करने के बाद, विजिलेंस ने अप्रैल 2021 में उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। इस मामले में गिरफ्तारी और कार्रवाई के बाद वासुदेव यादव की मुसीबतें बढ़ गई हैं, और यह मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है।

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