खडूर साहिब के निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। अमृतपाल ने लोकसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था।
केंद्र सरकार ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि सांसदों को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति देने वाली समिति की बैठक तीन मार्च को हुई थी। बैठक में अमृतपाल सिंह सहित 5 अनुपस्थित सांसदों के मामलों पर विचार किया गया। कमेटी ने अपनी सिफारिशें तैयार कर ली हैं, जो गोपनीय हैं। 10 मार्च को संसद अब इन सिफारिशों पर निर्णय लेगी।
सांसद अमृतपाल सिंह, जो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं, ने लोकसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। उन्होंने याचिका में केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें लोकसभा महासचिव द्वारा जारी समन के अनुपालन में संसद सत्र में भाग लेने दिया जाए।
असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने हाईकोर्ट को बताया कि सांसदों को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति देने वाली समिति की बैठक तीन मार्च को हुई थी। जैन ने कोर्ट के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह गोपनीय हैं इसलिए वे रिकाॅर्ड पर कोई बयान नहीं दे सकते। यह केवल लोकसभा के लिए एक सिफारिश है, अंतिम निर्णय लोकसभा का होगा।
चीफ जस्टिस नागु ने जैन से पूछा कि आप इसे औपचारिक रूप से कैसे सूचित करेंगे, इस पर जैन ने जवाब दिया कि जब लोकसभा 10 मार्च को बैठेगी, तब यह सदन के पटल पर रखा जाएगा और एक सार्वजनिक दस्तावेज बन जाएगा। इसके बाद निर्णय लोकसभा अध्यक्ष या महासचिव द्वारा सूचित किया जाएगा।
यह है मामला
संविधान के अनुसार यदि संसद से कोई सदस्य साठ दिनों की अवधि के लिए बिना सदन की अनुमति के अनुपस्थित रहता है, तो सदन उसकी सीट को रिक्त घोषित कर सकता है। पिछली सुनवाई पर अमृतपाल के वकील ने तर्क दिया था कि वे 54 दिनों से अनुपस्थित हैं और केवल 6 दिन शेष हैं, जिसके बाद उनकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है। जबकि पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि किसी सांसद को संसद सत्र में भाग लेने का मौलिक अधिकार नहीं है।