कार-टी सेल थेरेपी को 10 गुना सस्ता बनाएगा एम्स, रक्त कैंसर के उपचार में मिलेगी मदद

एम्स की प्रयोगशाला ऑन्कोलॉजी इकाई की प्रोफेसर और प्रभारी अधिकारी डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि मौजूदा समय में कार-टी सेल थेरेपी काफी महंगी है। इसे आम जन तक पहुंचाने के लिए एम्स में काम चल रहा है। हमारा प्रयास है कि इसे 10 गुना तक सस्ता किया जा सके।

रक्त कैंसर के उपचार में कारगर मिली चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (कार) टी सेल थेरेपी को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एम्स इसे 10 गुना तक सस्ता बनाएगा। यह कैंसर उपचार की नई तकनीक है। इसमें मरीज के टी सेल को संशोधित करके कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और मारने की क्षमता प्रदान की जाती है। हाल ही में भारत में भी इस तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इसकी लागत करीब 40 लाख रुपये है। इसे एम्स चार लाख में उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है, जबकि विदेश में इस सुविधा के लिए चार करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं।

विशेषज्ञाें का कहना है कि जीन एडिटिंग इलाज का भविष्य है। उम्मीद कर रहे हैं कि इसकी मदद से कैंसर सहित दूसरे रोगों का इलाज कर पाना भी संभव हो पाएगा। मौजूदा समय में इस तकनीक का इस्तेमाल ब्लड कैंसर में हो रहा है। इसके मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए यह सुविधा उपलब्ध होने से इलाज आसान हो सकेगा।

एम्स की प्रयोगशाला ऑन्कोलॉजी इकाई की प्रोफेसर और प्रभारी अधिकारी डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि मौजूदा समय में कार-टी सेल थेरेपी काफी महंगी है। इसे आम जन तक पहुंचाने के लिए एम्स में काम चल रहा है। हमारा प्रयास है कि इसे 10 गुना तक सस्ता किया जा सके। यह भविष्य का उपचार हो सकता है।

एक अध्ययन के अनुसार, भारत में साल 2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई थीं। भारत एशिया में इस बीमारी के बोझ वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि कार टी-सेल थेरेपी से कैंसर के उपचार में मदद मिल सकती है।

स्वस्थ डोनर का टी सेल मल्टीपल को देगा उपचार
एम्स के कैंसर विभाग में सेवाएं दे रहीं वैज्ञानिक डॉ. दीपशी ठकराल ने बताया कि आने वाले दिनों में स्वस्थ डोनर का टी सेल कई मरीजों को सुविधा दे सकेगा। इस दिशा में शोध किया जा रहा है। इसमें एक स्वस्थ डोनर से सेल लेकर उसे उचित प्रक्रिया के बाद कई मरीजों को दिया जा सकेगा। बता दें कि वैज्ञानिक टी कोशिकाओं में एक जीन जोड़ते हैं जो कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने और उन्हें मारने में मदद करता है। मौजूदा समय में इस तकनीक में रोगी की कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। उन्हें टी-कोशिकाओं को सक्रिय करने और ट्यूमर कोशिकाओं को लक्षित करने के लिए प्रयोगशाला में संशोधित किया जाता है।

तरल कैंसर के साथ ठोस कैंसर का भी होगा प्रभावी
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में इस तकनीक का इस्तेमाल तरल कैंसर में किया जा रहा है। इसमें ल्यूकेमिया (श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं से उत्पन्न होने वाले कैंसर) और लिम्फोमा (लसीका प्रणाली से उत्पन्न होने वाले) कैंसर शामिल हैं। ल्यूकेमिया बोन मेरो और रक्त में उत्पन्न होता है, जबकि लिम्फोमा लसीका प्रणाली को प्रभावित करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *