इस साल चैत्र माह की अमावस्या (Chaitra Amavasya 2025 Upay) शनिवार 29 मार्च को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि पर शिव जी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना गया है। साथ ही आप इस दिन पर पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए पितृ सूक्तम् का भी पाठ कर सकते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण तिथियों में गिनी जाती है। इस तिथि पर पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से जातक को पितृ दोष से राहत मिल सकती है। इसी के साथ अमावस्या तिथि पर पवित्र नदी में डुबकी लगाने और जरूरतमंद लोगों में दान आदि करने से साधक को भोलेनाथ की कृपा प्राप्त हो सकती है।
पितृ सूक्तम् पाठ (Pitra Suktam Path)
उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥
अंगिरसो नः पितरो नवग्वा अथर्वनो भृगवः सोम्यासः।
तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम् अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥
ये नः पूर्वे पितरः सोम्यासो ऽनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठाः।
तेभिर यमः सरराणो हवीष्य उशन्न उशद्भिः प्रतिकामम् अत्तु॥
त्वं सोम प्र चिकितो मनीषा त्वं रजिष्ठम् अनु नेषि पंथाम्।
तव प्रणीती पितरो न देवेषु रत्नम् अभजन्त धीराः॥
त्वया हि नः पितरः सोम पूर्वे कर्माणि चक्रुः पवमान धीराः।
वन्वन् अवातः परिधीन् ऽरपोर्णु वीरेभिः अश्वैः मघवा भवा नः॥
त्वं सोम पितृभिः संविदानो ऽनु द्यावा-पृथिवीऽ आ ततन्थ।
तस्मै तऽ इन्दो हविषा विधेम वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥
बर्हिषदः पितरः ऊत्य-र्वागिमा वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।
तऽ आगत अवसा शन्तमे नाथा नः शंयोर ऽरपो दधात॥
आहं पितृन्त् सुविदत्रान् ऽअवित्सि नपातं च विक्रमणं च विष्णोः।
बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त पित्वः तऽ इहागमिष्ठाः॥
उपहूताः पितरः सोम्यासो बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।
तऽ आ गमन्तु तऽ इह श्रुवन्तु अधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥
पितृ दोष बहुत ही कष्टदायक माना जाता है। ऐसे में इससे मुक्ति पाने के लिए अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है। इसके लिए आप अमावस्या तिथि पर पितृ सूक्त का पाठ कर सकते हैं।
आ यन्तु नः पितरः सोम्यासो ऽग्निष्वात्ताः पथिभि-र्देवयानैः।
अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तो ऽधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥
अग्निष्वात्ताः पितर एह गच्छत सदःसदः सदत सु-प्रणीतयः।
अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्य-था रयिम् सर्व-वीरं दधातन॥
येऽ अग्निष्वात्ता येऽ अनग्निष्वात्ता मध्ये दिवः स्वधया मादयन्ते।
तेभ्यः स्वराड-सुनीतिम् एताम् यथा-वशं तन्वं कल्पयाति॥
अग्निष्वात्तान् ॠतुमतो हवामहे नाराशं-से सोमपीथं यऽ आशुः।
ते नो विप्रासः सुहवा भवन्तु वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥
आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।
मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो यद्व आगः पुरूषता कराम॥
आसीनासोऽ अरूणीनाम् उपस्थे रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।
पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत तऽ इह ऊर्जम् दधात॥
चैत्र अमावस्या पर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध क्रम करने से साधक के ऊपर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है, जिससे जीवन सुख-समृद्धि से बीतता है। साथ ही इस दिन शुभ मुहूर्त में स्नान-ध्यान और दान करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।