चैत्र पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति के लिए करें ये पाठ

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को काफी खास माना गया है। चैत्र माह में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2025) कहा जाता है। यह तिथि लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति के लिए भी उत्तम मानी गई है। ऐसे में आप इस दिन पर लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति के लिए श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं।

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। यह दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दिन पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। ऐसे में इस विशेष अवसर पर लक्ष्मी जी की आराधना जरूर करनी चाहिए। इससे साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

।। अथ श्री-सूक्त मंत्र पाठ ।।
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।

पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी की जी पूजा-अर्चना के लिए खास माना गया है। इस दिन अगर आप विशेष विधि-विधान से लक्ष्मी जी की पूजा में श्री सूक्त का पाठ करते हैं, तो इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखती हैं।

आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।
उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।
य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।

।। इति समाप्ति ।।
पूर्णिमा तिथि पर माता लक्ष्मी के पूजन के दौरान उन्हें उनकी प्रिय चीजें जैसे सफेद मिठाई, खीर, मखाने आदि अर्पित कर सकते हैं। इसी के साथ लक्ष्मी जी को कमल के फूल भी अर्पित करें। ऐसा करने से साधक को लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *