टैरिफ विवाद के बीच भारत-अमेरिका ने बीटीए पर जल्द सहमति की जताई आवश्यकता

अमेरिका की नई टैरिफ नीति को लेकर जहां दुनिया के कई देश अपनी भावी रणनीति के बारे में बात करने लगे हैं वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रूबियो से टेलीफोन पर बात की। दोनों मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते (बीटीए) पर जल्द से जल्द सहमति बननी चाहिए।

दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच बीटीए को लेकर फरवरी, 2025 से ही बातचीत जारी है। उम्मीद है कि अगले छह महीनों के भीतर बीआइटी को लेकर एक शुरुआती समझौता हो जाएगा। रूबियो से हुई वार्ता के बारे में विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस बात की जानकारी दी।

उन्होंने लिखा, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र, हिंद महासागर की स्थिति, यूरोप, मध्य-पूर्व, पश्चिम एशिया और कैरिबियन क्षेत्र की स्थिति को लेकर भी चर्चा हुई है। हमने बीटीए को लेकर जल्द से जल्द सहमत होने के महत्व को रेखांकित किया है। हम आगे भी संपर्क में रहेंगे।”

भारत अपना रहा ये रास्ता

यहां बताते चलें कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय से जो वार्ता हो रही है, उसको लेकर भारत के वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से कोई खास बयान अभी तक नहीं आया है। लेकिन माना जा रहा है भारत सरकार फिलहाल पारस्परिक शुल्क के लगाने से उपजी स्थिति का समाधान बीटीए से ही निकालने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है।

टैरिफ को लेकर चीन में मन में क्या है?

यूरोपीय आयोग ने समान शुल्क की नीति अपनाई कुछ अन्य देशों की तरफ से अमेरिकी टैरिफ नीति के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए अलग अलग कदम उठाए जाने की घोषणाएं हो रही हैं।

चीन ने पहले ही अमेरिकी आयात पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाने का एलान करके यह साफ कर दिया है कि वह ट्रंप की नीति के आगे झुकने नहीं जा रहा। जबकि सोमवार को यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सला वोन डेर लेयेन ने अमेरिकी सरकार के समक्ष शून्य शुल्क के बदले शून्य शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही यह भी कहा है कि यूरोपीय आयोग अपने हितों के लिए दूसरी तरह की जवाबी कार्रवार को भी तैयार है।

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