देवी पार्वती और मां गंगा कैसे बनी बहनें, महादेव को लेकर हुई थी बहस

भारत में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि गंगा में स्नान मात्र से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं देवी पार्वती को शिव जी की पत्नी के रूप में जाना जाता है जो आदिशक्ति भी हैं। लेकिन क्या आप इन दोनों देवियों के बीच का संबंध (Parvati-Ganga Story) जानते हैं?

हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी कई पौराणिक कहानियां मिलती हैं, जो ज्ञान और रोचकता से भरी हुई हैं। इसी तरह की एक कथा माता पार्वती और मां गंगा (Parvati-Ganga bond) से संबंधित है। माता गंगा और पार्वती जी आपस में बहने मानी गई हैं।

कथा के अनुसार, गंगा जी की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के कमंडल से हुई थी, वहीं पार्वती जी का जन्म हिमालय और मेनका की पुत्री के रूप में हुआ था। ऐसे में यह सवाल आना लाजमी है कि यह दोनों आपस में बहने कैसे हुईं। चलिए जानते हैं इस बारे में।

कैसे हुई गंगा जी की उत्पत्ति
वामन पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बली से तीन पग धरती नापी तो उन्होंने एक पग में पूरी धरती और दूसरे पग में पूरा ब्रह्मांड नाप लिया था। इस दौरान जब वामन देव ने अपना पैर आकाश की ओर उठाया, तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के चरण धोकर उस जल को अपने कमंडल में भर लिया था।

इस जल के तेज के प्रभाव से कमंडल से देवी गंगा की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मा जी ने उनका पालन-पोषण ब्रह्मा जी ने स्वर्ग में किया था। आगे चलकर भागीरथ की कठोर तपस्या के कारण गंगा नदी का धरती पर आगमन हुआ।

इस तरह बनी बहनें
ब्रह्मा जी ने देवी गंगा को हिमालय को पुत्री के रूप में सौंप दिया था। इस प्रकार देवी पार्वती और देवी गंगा, दोनों के ही पिता हिमालय हुए, जिस कारण पार्वती जी और मां गंगा आपस में बहनें बन गईं।

पार्वती जी ने दिया था श्राप
पार्वती जी और मां गंगा से संबंधित एक कथा यह भी मिलती है कि पार्वती जी ने गंगा को एक भयंकर श्राप दिया था। कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती और महादेव ध्यान में लीन थे। तब देवी गंगा भी वहां उपस्थित थी और जब शिव जी का ध्यान टूटा तो, उन्होंने शिव जी से कहा कि मैं आपके रूप पर मोहित हो गई हूं, कृपा मुझे अपनी पत्नी रूप में स्वीकार करें।

तब गुस्से में आकर माता पार्वती ने कहा कि आप मेरी बहन हैं, कृपया अपनी मर्यादा न लांघे। इसपर गंगा जी ने देवी पार्वती से कहा कि महादेव ने मुझे अपने शीश पर धारण किया हुआ है, जिस कारण मैं हर जगह उनके साथ जाती हूं। गंगा जी को यह श्राप दे दिया कि तुम में मृत देह बहेंगे और मनुष्यों के पाप धोते-धोते तुम मैली हो जाओगी।

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