नए जमाने का मैन्यूफैक्चरिंग हब बन सकता है भारत

ट्रंप सरकार की तरफ से 60 से अधिक देशों पर पारस्परिक शुल्क लगाने के बाद भारत के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनने के साथ नए जमाने का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने का अवसर दिख रहा है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका का यह फैसला भारत के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।

भारत लेदर, गारमेंट जैसे पारंपरिक आइटम के अलावा सेमिकंडक्टर, बायोटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टेक्नोलाजी के साथ ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण से जुड़े उत्पाद का बड़ा निर्माता बन सकता है। भारत पर अमेरिका ने 27 प्रतिशत का पारस्परिक शुल्क लगाया है, जो दुनिया में उभरते हुए मैन्युफैक्चरिंग देशों के मुकाबले कम है।

भारत के लिए बड़ा अवसर?
अगर भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो जाता है तो यह शुल्क भी समाप्त हो जाएगा। इससे कई देश अब भारत के साथ टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप के साथ मैन्युफैक्चरिंग में आपसी सहयोग के लिए राजी हो सकते है।

ट्रंप के इस फैसले से भारत सेमिकंडक्टर का बड़ा सप्लायर बन सकता है। ताइवान पर अमेरिका ने 32 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। ऐसे में ताइवान भारत के साथ मिलकर सेमिकंडक्टर की पूरी चेन पैकेजिंग, टेस्टिंग और कम लागत वाले चिप का निर्माण शुरू कर सकता है। शुल्क की वजह से सेमिकंडक्टर निर्माण में भारत की तरफ ताइवान से मामूली शिफ्ट भी भारत के लिए बड़े फायदे का सौदा होगा। ताइवान चिप का सबसे बड़ा निर्माता देश है।

-अजय श्रीवास्तव, संस्थापक, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव

ईवाई इंडिया के ट्रेड पॉसी लीडर अग्नेश्वर सेन ने कहा कि ट्रंप सरकार के पारस्परिक शुल्क से वैश्विक व्यापार प्रणाली में बदलाव होने जा रहा है। अमेरिका ने कम शुल्क रखकर छोटे-छोटे देशों को व्यापार में पनपने का मौका दिया। हालांकि स्थिति अब बदल गई है। अब वैश्विक स्तर पर नई सप्लाई चेन का उदय होगा। भारत के लिए इसमें अहम भूमिका निभाने का अवसर है, क्योंकि एशिया के कई देश पारस्परिक शुल्क से काफी प्रभावित हुए हैं और उनसे जुड़े सेक्टर में सप्लाई चेन का हिस्सा बनने का भारत के लिए मौका है।

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