प्रयागराज : संगम की धरती पर 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है। महाकुंभ को लेकर शैव परंपरा के अखाड़ों के बाद वैष्णव परंपरा के तीनों अनि अखाड़े की पेशवाई यानि महाकुंभ छावनी शोभायात्रा निकाली गई। केपी कॉलेज मैदान से तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य की अगुवाई में तीनों अनि अखाड़ों निर्वाणी अनि,निर्मोही अनि और दिगंबर अनि अखाड़े की महाकुंभ छावनी प्रवेश शोभा यात्रा राजसी अंदाज में बड़े ही धूमधाम से निकाली गई।
वैष्णव संप्रदाय के तीनों अनि अखाड़े के संत महात्मा राजसी वैभव का प्रदर्शन करते हुए ढोल नगाड़ों की थाप और बैंड बाजे की धुनों के बीच शाही रथों पर सवार होकर महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश के लिए निकले। इस दृश्य को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो एक बार फिर से सनातन का काल वापस लौट आया है।
अनि अखाड़ों की पेशवाई में धर्म ध्वजा और आराध्य ईष्ट देव की पालकी नहीं चलती है। बल्कि निशान चलते हैं और निशान पर हनुमान जी विराजमान रहते हैं। तीनों अनि अखाड़े के आराध्य ईष्ट देव एक ही हनुमान जी हैं। जबकि तीनों अखाड़े की धर्म ध्वजाएं अलग-अलग है।
पेशवाई में जहां सबसे आगे तीनों अनि अखाड़े के निशान लिए वैष्णव संप्रदाय के नागा साधु संत चल रहे थे। तो वहीं बैंड पार्टियों और गाजे बाजे के साथ वैष्णव संप्रदाय के नागा संन्यासी अस्त्र-शस्त्र से करतब दिखाते हुए आगे बढ़ रहे थे। अनि अखाड़ों की पेशवाई में जहां हाथी, घोड़े और ऊंट शामिल किए गए थे। वहीं महाकुंभ छावनी प्रवेश शोभा यात्रा के लिए तैयार किए गए रथों पर बैठे अनि अखाड़ों के महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर,महंत, श्री महंत और जगतगुरु श्रद्धालुओं और भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद दे रहे थे।
अनि अखाड़ो की पेशवाई में सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए थे। पेशवाई में सबसे आगे घुड़सवार पुलिस और पुलिस के आला अधिकारी चल रहे थे। पेशवाई मार्ग पर संत महात्माओं के दर्शनो के लिए जगह-जगह सड़क के दोनों किनारे लोगों की भारी भीड़ जमा थी। श्रद्धालुओं ने भी जगह-जगह वैष्णव परंपरा के साधु संतों पर पुष्प वर्षा कर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं महाकुंभ क्षेत्र में पहुंचने पर मेला प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारियों ने भी साधु संतों का फूल माला पहनकर स्वागत किया।