व्हेल शार्क फिल्टर फीडर के रूप में महासागरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्लवक और छोटी मछलियों को खाकर ये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मददगार होती हैं और समग्र जैव विविधता में अहम भूमिका निभाती हैं।
दुनियाभर में व्हेल शार्क की आबादी 75 वर्षों में 50 फीसदी से अधिक घट गई है, इसलिए उन्हें प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) रेड-लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में आंका गया है। भारत में इस प्रजाति को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है जो इसे उच्चतम संरक्षण का दर्जा प्रदान करता है। यह जानकारी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में शोधकर्ता पीयर्स और नॉर्मन के हवाले से दी गई है।
महासागरों में महत्वपूर्ण भूमिका
व्हेल शार्क फिल्टर फीडर के रूप में महासागरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्लवक और छोटी मछलियों को खाकर ये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मददगार होती हैं और समग्र जैव विविधता में अहम भूमिका निभाती हैं। व्हेल-शार्क दिन में करीब आठ घंटे की अवधि में समुद्र का लगभग 10,000 गैलन पानी पीती हैं। करीब 60 फीट लंबी होने के कारण ऐसा लगता है कि वे जो चाहें खा सकती हैं, लेकिन असल में वे प्लवक-सूक्ष्म पौधों और जानवरों को खाती हैं।
व्हेल शार्क के गले का मुंह करीब 20 विशाल पैड से ढका होता है, जिनमें सैकड़ों छोटे-छोटे छेद होते हैं। जैसे ही समुद्री पानी अंदर जाता है, ये पैड भोजन को छान लेते हैं ठीक वैसे ही जैसे एक छलनी में स्पेगेटी को पकड़ा जाता है जबकि खाना पकाने का पानी बाहर निकल जाता है। फिर पानी शार्क के गलफड़ों से बाहर निकल जाता है और भोजन उसके गले में चला जाता है।
किलर व्हेल समूह से भी सबसे बड़ी शार्क को खतरा
शोधकर्ताओं का कहना है कि किलर व्हेल ओर्का और बेलुगा को पृथ्वी के प्रत्येक महासागर में रहने वाले अलग-अलग क्षेत्रों में शीर्ष शिकारियों के रूप में जाना जाता है। ये आमतौर पर मछली, कछुए, समुद्री स्तनधारियों जैसे सील और यहां तक कि मूस का शिकार करती हैं। अब वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत मिले हैं कि कैलिफोर्निया की खाड़ी में किलर व्हेल समूह ने विशाल व्हेल शार्क का शिकार करने का अकल्पनीय, लेकिन आश्चर्यजनक नया कौशल विकसित कर लिया है। व्हेल शार्क पृथ्वी पर सबसे बड़ी शार्क और सबसे बड़ी मछली हैं।
इनकी लंबाई 60 फीट यानी 18 मीटर तक और वजन 12 से 14 टन होता है । समुद्री जीवविज्ञानियों ने पिछले छह वर्षों में चार अलग-अलग घटनाओं को देखा है जिसमें किलर व्हेल समूह ने इन विशाल मछलियों को मारने का एक तरीका तैयार किया है, और इस प्रक्रिया में खुद के लिए पौष्टिक भोजन अर्जित किया है। किलर व्हेल खुद 26 फीट यानी 8 मीटर तक लंबी हो सकती हैं और इनका वजन 6 टन से ज्यादा हो सकता है।
इसके बेशकीमती अंग शिकार की बड़ी वजह
व्हेल शार्क का ऐतिहासिक रूप से उनके बड़े आकार, तेल, पंख और शरीर के अन्य अंगों जैसे उत्पादों के बेशकीमती होने के कारण इनका शिकार किया जाता है। इसकी चमड़ी से बेशकीमती पर्स और बैग बनाए जाते हैं। एशियाई देशों में शार्क फिन सूप एक स्वादिष्ट व्यंजन है। देखा जाए तो इनका शिकार खास तौर पर व्यावसायिक फायदों के लिए किया जाता है।
वयस्क व्हेल शार्क का कोई ज्ञात प्राकृतिक शिकारी नहीं है, यद्यपि ब्लू मार्लिन और ब्लू शार्क युवा व्हेल शार्क का शिकार करते हैं। इन लुप्तप्राय मछलियों के लिए सबसे बड़ा खतरा मनुष्य हैं, जिनका वे अवैध रूप से शिकार करते हैं और उन्हें मनमाने दामों पर भोजन के रूप में बेचा जाता है।