भारतवंशियों ने 18 वर्षों में अमेरिकी विश्वविद्यालयों को दिए 26.6 करोड़ रुपये

भारतीय मूल के अमेरिकियों ने 2008 से अमेरिकी विश्वविद्यालयों को 26,626 करोड़ रुपये दान दिए हैं। एक नए शोध में अग्रणी गैर-लाभकारी संगठन इंडियास्पोरा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अपनी व्यावसायिक सफलता का आधार मानने वाले कई भारतवंशी विश्वविद्यालयों में परिवर्तनकारी तरीकों से योगदान दे रहे हैं।

इंडियास्पोरा ने कहा, देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों को ऐतिहासिक दान के माध्यम से भारतवंशी न केवल उन संस्थानों का सम्मान कर रहे, जिन्होंने उनके जीवन को आकार दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे कि भावी पीढ़ियों को सीखने, नवाचार और नेतृत्व विकास के समान अवसर मिले। इस दान से एक शक्तिशाली फ्लाईव्हील प्रभाव पैदा हुआ है, जो भारत और अमेरिका के बीच पेशेवर और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करते हुए अमेरिकी शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करता है।

इंडियास्पोरा के संस्थापक और अध्यक्ष एमआर रंगास्वामी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में निवेश करके शिक्षा को महत्व देने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी अमेरिका के प्रति अपनी व्यापक प्रतिबद्धता भी दिखा रहे। सभी नस्लों, जातियों और पृष्ठभूमियों के अमेरिकियों को फलने-फूलने में मदद कर रहे।

78% लोग स्नातक या उससे अधिक डिग्री वाले
अध्ययन में पाया गया कि 78% भारतीय मूल के अमेरिकी स्नातक या उससे उच्चतर डिग्रीधारक हैं। यह राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है और भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना 88,752.9 करोड़ रुपये का योगदान करते हैं, जिससे अनुमानित 93 हजार अमेरिकी नौकरियां पैदा होती हैं। वर्तमान में 2,70,000 भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं।

अधिकांश दान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान, इंजीनियरिंग के लिए
अध्ययन के अनुसार, सार्वजनिक रूप से ज्ञात अधिकांश दान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान, इंजीनियरिंग और व्यावसायिक शिक्षा के लिए गए हैं। पेशेवर क्षेत्रों के अलावा 1,242.5 करोड़ रुपये सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि दक्षिण एशियाई, हिंदू और भारतीय अध्ययन के लिए अनुदान, अमेरिका के शैक्षणिक परिदृश्य को समृद्ध करते हुए अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रति समुदाय के समर्पण का प्रतीक है।

बता दें, इंडियास्पोरा वर्षों से संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों के दूरगामी प्रभाव का अध्ययन करता रहा है, जिसका सबसे हालिया उदाहरण बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के सहयोग से तैयार की गई 2024 इंपैक्ट रिपोर्ट में उजागर किया गया है।

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